मुस्कुराता कौन है यहां,इस जमाने में
मुस्कुराता कौन है यहां,इस जमाने में
दास्तां भी अब क्या कहें
असली चेहरों को पढ़ना भी है मुश्किल
अश्रु भरी आंखें है,जैसे बारिश की बूंदे गिरती है
मुस्कुराता कौन है यहां, इस जमाने में।
जिंदगी से खुशी भागती ही जा रही है
लपकते चले आ रहे है गम के साये
दिल को तसल्ली देकर तू जरा मुस्कुरा लें
मुस्कुराता कौन है यहां, इस जमाने में।
मिट्टी का जिस्म लेकर मैं पानी के घर में हूं
मंजिल मेरा मौत है और मैं सफर में हूं
वक्त रहते ही तू कुछ बात कर लें
मुस्कुराता कौन है यहां, इस जमाने में।
इतना तो सभी को पता है कि
जिंदगी दोबारा लौटती नही है
खुशी के पल को यूँ ही गंवाना नही है
मुस्कुराता कौन है यहां, इस जमाने में।
कलयुग में अवतरण हुआ है
तो पल पल में कष्ट भी संभव है
इस दुनिया से लड़ते लड़ते
मुस्कुराता कौन है यहां, इस जमाने में।
कुछ बातों को बात ही रहने दो तो अच्छा है
क्योंकि उससे तो तुम निजात पा ही नही सकते
इतना ही तजुर्बा रहा इस जिंदगी का
मुस्कुराता कौन है यहां, इस जमाने में।
नूतन लाल साहू
Anjali korde
12-Jun-2024 09:19 AM
Amazing
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